भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज, टैरिफ और धीमा निजी निवेश बनी चुनौती
वाशिंगटन। वैश्विक जीडीपी में सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने बीती तिमाही भी अच्छी रफ्तार दिखाई है। फाइनेंशियल टाइम्स और ब्लूमबर्ग के ताजा विश्लेषण में कहा गया है कि भारत की वृद्धि चीन, यूरोप और अमेरिका से बेहतर है। सेवा और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने प्रदर्शन सुधारा है, मगर उच्च अमेरिकी टैरिफ एवं निजी निवेश की कमी आगे चुनौती मानी जा रही है।
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग ही रफ्तार दिखाती है, जिसे विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। दोनों ने अपनी रिपोर्टों में कहा, आईटी-सर्विसेज, बैंकिंग-फाइनेंस, ई-कॉमर्स, और लॉजिस्टिक्स सेक्टर की वृद्धि दोहरे अंक में रही, जिससे सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज हुई। मैन्युफैक्चरिंग में इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान, रसायन व मशीनरी उत्पादन में ठोस सुधार देखने को मिला। इससे घरेलू मांग के साथ निर्यात ऑर्डरों में अपेक्षाकृत स्थिरता बताई गई। इस बीच, वैश्विक तुलना में चीन अब भी रियल एस्टेट संकट और घटते निवेश के दबाव में है। यूरोप ऊर्जा कीमतों और कमजोर औद्योगिक मांग से उबर नहीं पा रहा, जबकि अमेरिका में उपभोक्ता खर्च मजबूत जरूर है लेकिन फेड की ऊंची ब्याज दरों ने निवेश चक्र को सीमित कर दिया है। ऐसे माहौल में भारत को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ स्टेबल परफॉर्मर और ग्लोबल ब्राइट स्पॉट बता रहे हैं। यानी दुनिया की असमान रिकवरी के बीच भारत ने अपनी पकड़ बनाए रखी है।
उभरते देशों में भारत की सबसे आक्रामक प्रतिक्रिया
फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा, टैरिफ के बाद भारत ने निर्यातकों को राहत देने के लिए जिस पैमाने पर तैयारी की है, वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे आक्रामक प्रतिक्रिया मानी जा रही है। भारत ने प्रमुख प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिए 45,000 करोड़ की विस्तृत योजना तैयार की है, जिसमें से 25,060 करोड़ रुपये का निर्यात समर्थन मिशन और 20,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी पहल शामिल है।
उभरते देशों में भारत की सबसे आक्रामक प्रतिक्रिया
फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा, टैरिफ के बाद भारत ने निर्यातकों को राहत देने के लिए जिस पैमाने पर तैयारी की है, वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे आक्रामक प्रतिक्रिया मानी जा रही है। भारत ने प्रमुख प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिए 45,000 करोड़ की विस्तृत योजना तैयार की है, जिसमें से 25,060 करोड़ रुपये का निर्यात समर्थन मिशन और 20,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी पहल शामिल है।
