बजट में आम लोगों के लिए सस्ते मकानों की परिभाषा बदलने की तैयारी, 45 लाख की लिमिट बढ़ाएगी सरकार!
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- October 8, 2025
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नई दिल्ली। अगले साल फरवरी में पेश होने वाले बजट में सरकार सस्ते मकानों की परिभाषा बदलने की तैयारी में है। महानगरों में 45 लाख की सीमा बढ़ाकर 55 लाख और आकार 60 वर्गमीटर तक किया जा सकता है, जबकि गैर-महानगरों में 90 वर्गमीटर तक प्रस्तावित है। मकानों की बढ़ती कीमत और महंगाई को देखते हुए रियल्टी सेक्टर लंबे समय से इस बदलाव की मांग कर रहा था।
सरकार आम लोगों को राहतों का सिलसिला देने का काम आगे भी चालू रख सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार फरवरी में पेश होने वाले बजट में आम लोगों के लिए सस्ते मकानों की परिभाषा बदलने की योजना बना रही है। इसके तहत वर्तमान सीमा को बढ़ाया जा सकता है। अभी 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले मकानों को अफोर्डेबल हाउसिंग यानी सस्ते घरों के वर्गीकरण के रूप में रखा गया है। लेकिन अब इसे महानगरों के लिए 55 लाख रुपये या फिर 60 वर्गमीटर किया जा सकता है।
गैर महानगरों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 90 वर्गमीटर किया जा सकता है। इसके पीछे तर्क यह है कि अब आम आदमी को भी कम से कम 800-1000 वर्गफुट का दो या तीन बेडरूम, किचन और हाल यानी बीएचके की जरूरत होती है। दरअसल, कई रियल्टी संस्थान लंबे समय से सरकार से इस परिभाषा को बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका इसके पीछे तर्क है कि 2017 में जब यह नियम बना था, तब से अब तक मकानों की कीमतें तो बढ़ी ही हैं, साथ ही महंगाई भी जमकर बढ़ी है। ऐसे में अब 45 लाख रुपये में दूसरे स्तर के शहरों यहां तक कि दिल्ली और मुंबई के आस-पास जो शहर हैं, वहां भी मकान नहीं मिल रहे हैं।
गैर महानगरों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 90 वर्गमीटर किया जा सकता है। इसके पीछे तर्क यह है कि अब आम आदमी को भी कम से कम 800-1000 वर्गफुट का दो या तीन बेडरूम, किचन और हाल यानी बीएचके की जरूरत होती है। दरअसल, कई रियल्टी संस्थान लंबे समय से सरकार से इस परिभाषा को बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका इसके पीछे तर्क है कि 2017 में जब यह नियम बना था, तब से अब तक मकानों की कीमतें तो बढ़ी ही हैं, साथ ही महंगाई भी जमकर बढ़ी है। ऐसे में अब 45 लाख रुपये में दूसरे स्तर के शहरों यहां तक कि दिल्ली और मुंबई के आस-पास जो शहर हैं, वहां भी मकान नहीं मिल रहे हैं।
