जंक फूड की चपेट में लाडले, देश का हर दसवां बच्चा मोटापे से जूझ रहा
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- September 12, 2025
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नई दिल्ली। आपका लाड़ला भी जंक फूड की चपेट में है। ये हम नहीं यूनिसेफ की वर्ल्ड न्यूट्रिशन रिपोर्ट बता रही है। देश का हर दसवां बच्चा मोटापे से जूझ रहा है। यह आंकड़ा लगभग 18.8 करोड़ बच्चों का है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या कम वजन वाले बच्चों से ज्यादा हो गई है।
क्या आपके बच्चे का खानपान सचमुच सुरक्षित और संतुलित है? आज दुनिया में बच्चों की सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ भूख या कुपोषण नहीं रह गई, बल्कि जंक फूड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने की वजह से बढ़ता मोटापा है। यह कुपोषण का नया चेहरा है।
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो हमारे बच्चे आने वाले वर्षों में मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। पेरेंट्स को समय रहते सतर्क होकर बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शारीरिक श्रम के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। यूनिसेफ की वर्ल्ड न्यूट्रिशन रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में अब हर दसवां बच्चा मोटापे से जूझ रहा है। यह आंकड़ा लगभग 18.8 करोड़ बच्चों का है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या कम वजन वाले बच्चों से ज्यादा हो गई है। 2000 से अब तक पांच से 19 वर्ष की आयु के कम वजन वाले बच्चों की संख्या 13% से घटकर 9.2% रह गई, लेकिन मोटापे से जूझ रहे बच्चों का अनुपात तीन गुना बढ़कर 9.4% हो गया।
39.1 करोड़ बच्चों में बढ़ते वजन की समस्या
दुनिया में 39.1 करोड़ बच्चे बढ़ते वजन की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से आधे बच्चे मोटापे की श्रेणी में आते हैं। प्रशांत द्वीप समूह में स्थिति सबसे गंभीर है। नियू में 38, कुक आइलैंड्स 37 और नाउरू 33% बच्चे मोटापे के शिकार हैं। अमेरिका और यूएई जैसे अमीर देशों में भी 21% बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापा बच्चों को सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है।
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर समय रहते कदम न उठाए गए तो हमारे बच्चे आने वाले वर्षों में मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। पेरेंट्स को समय रहते सतर्क होकर बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शारीरिक श्रम के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। यूनिसेफ की वर्ल्ड न्यूट्रिशन रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में अब हर दसवां बच्चा मोटापे से जूझ रहा है। यह आंकड़ा लगभग 18.8 करोड़ बच्चों का है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या कम वजन वाले बच्चों से ज्यादा हो गई है। 2000 से अब तक पांच से 19 वर्ष की आयु के कम वजन वाले बच्चों की संख्या 13% से घटकर 9.2% रह गई, लेकिन मोटापे से जूझ रहे बच्चों का अनुपात तीन गुना बढ़कर 9.4% हो गया।
39.1 करोड़ बच्चों में बढ़ते वजन की समस्या
दुनिया में 39.1 करोड़ बच्चे बढ़ते वजन की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से आधे बच्चे मोटापे की श्रेणी में आते हैं। प्रशांत द्वीप समूह में स्थिति सबसे गंभीर है। नियू में 38, कुक आइलैंड्स 37 और नाउरू 33% बच्चे मोटापे के शिकार हैं। अमेरिका और यूएई जैसे अमीर देशों में भी 21% बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापा बच्चों को सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है।