मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों की बैठक 10 को
- दिल्ली राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- September 7, 2025
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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनज़र चुनाव आयोग ने 10 सितंबर को राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) की एक अहम बैठक दिल्ली में बुलाई है। इस बैठक में देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की तैयारियों पर प्रमुख रूप से विचार-विमर्श किया जाएगा।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, सीईओ के साथ हर तीन महीने में समीक्षा बैठक आयोजित करने की परंपरा शुरू की गई है। इसी क्रम में यह बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें प्रशासनिक व बजटीय विषयों के साथ-साथ SIR प्रक्रिया की वर्तमान स्थिति और आगे की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
चुनाव आयोग के नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद यह बैठकों की श्रृंखला और भी सक्रिय हो गई है। उनके नेतृत्व में आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई नई पहल शुरू की हैं।
इन पहलों में राजनीतिक दलों के साथ संवाद, बूथ लेवल अधिकारियों के लिए वर्कशॉप, एकीकृत डिजिटल ऐप और अन्य तकनीकी उन्नयन शामिल हैं, जिनका उद्देश्य चुनाव प्रणाली को आधुनिक बनाना और मतदाताओं को अधिक सुविधा प्रदान करना है।
राजनीतिक दलों की आपत्तियाँ
एसआईआर को लेकर कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं और इसे राजनीतिक मुद्दा भी बनाया है। यह मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा, जहां बिहार की मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि न्यायालय ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई है और यह कार्य अब अंतिम चरण में है।
चुनाव आयोग के नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद यह बैठकों की श्रृंखला और भी सक्रिय हो गई है। उनके नेतृत्व में आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई नई पहल शुरू की हैं।
इन पहलों में राजनीतिक दलों के साथ संवाद, बूथ लेवल अधिकारियों के लिए वर्कशॉप, एकीकृत डिजिटल ऐप और अन्य तकनीकी उन्नयन शामिल हैं, जिनका उद्देश्य चुनाव प्रणाली को आधुनिक बनाना और मतदाताओं को अधिक सुविधा प्रदान करना है।
राजनीतिक दलों की आपत्तियाँ
एसआईआर को लेकर कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं और इसे राजनीतिक मुद्दा भी बनाया है। यह मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा, जहां बिहार की मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि न्यायालय ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई है और यह कार्य अब अंतिम चरण में है।