नई दिल्ली में प्रदूषण की चपेट में यमुना, दिल्ली जल बोर्ड के 37 में 14 ट्रीटमेंट प्लांट बंद

 नई दिल्ली में प्रदूषण की चपेट में यमुना, दिल्ली जल बोर्ड के 37 में 14 ट्रीटमेंट प्लांट बंद
नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में से 14 संयंत्र बंद पड़े हुए हैं। जिस कारण जीवन दायिनी यमुना प्रदूषण की चपेट में हैं। यह खुलासा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी अपनी हालिया रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट के अनुसार, एसटीपी निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते पाए गए।, जिसमें फीकल कोलीफॉर्म के मानक भी शामिल हैं।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने डीपीसीसी को उन 14 एसटीपी के खिलाफ सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा है। साथ ही, इसकी कार्रवाई रिपोर्ट आठ सप्ताह के अंदर देने का आदेश दिया है। पीठ में विशेष सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल, ईश्वर सिंह और डॉ. प्रशांत गर्गवा शामिल रहें। मामले में अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। कामकाज की समीक्षा की एक रिपोर्ट से पता चला है कि यूवी और क्लोरीनीकरण विधियों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन कई प्लांट निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। आईआईटी दिल्ली को सीवेज ट्रीटमेंट में यूवी तकनीक की प्रभावशीलता की जांच करने का निर्देश दिया गया है।
80 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइनों से जुड़ा
शहर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइनों से जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना के गंदे पानी में हाथ डालना भी बीमारियों को न्योता देने जैसा है। दिल्ली के साथ साथ इसका सबसे बड़ा नुकसान उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है जिनकी जिंदगी यमुना पर ही आश्रित है। थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा है, जो नदी बेसिन की कुल लंबाई का बमुश्किल 2 प्रतिशत है। वह पूरी नदी में प्रदूषण के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से का योगदान देता है।