आईबीए बैकों से RBI करेगा संपर्क, लिस्टेड कंपनियों के विलय-अधिग्रहण पर होगी बात
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 26, 2025
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नई दिल्ली। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) सूचीबद्ध कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के लिए बैंकों को धन मुहैया कराने की अनुमति देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से औपचारिक अनुरोध करेगा। ये बात भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक संघ (आईबीए) सूचीबद्ध कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के लिए बैंकों को धन मुहैया कराने की अनुमति देने के लिए बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक से औपचारिक अनुरोध करेगा। उन्होंने निजी क्षेत्र से क्षमता विस्तार के लिए निवेश शुरू करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उपभोग बढ़ाने के लिए पहले ही कई कदम उठाए हैं।
शेट्टी ने कहा, “विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) के वित्तपोषण के लिए भारतीय बैंकों तक पहुँच… मुझे लगता है कि हम पहले भी इस पर बात कर चुके हैं। अगर आप इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को देखें, तो अधिग्रहणों का वित्तपोषण न करना शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण पर आधारित है।”
शेट्टी, जो आईबीए के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, “शुरुआत में, हम आईबीए की ओर से आरबीआई से एक औपचारिक अनुरोध करेंगे… ताकि वे कम से कम कुछ सूचीबद्ध कंपनियों से शुरुआत करें, वैसे मामलों में जहां अधिग्रहण अधिक पारदर्शी हैं और शेयरधारकों कहीं अधिग्रहण को मंजूरी दी गई है। (इस प्रकार) फंडिंग के किसी भी शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण के मुद्दे को कम किया जा सकता है।”
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और आईबीए की ओर से आयोजित एफआईबीएसी 2025 में बोलते हुए एसबीआई चेयरमनै ने कहा कि कॉर्पोरेट क्षेत्र के वर्तमान पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण उनके आंतरिक स्रोतों, इक्विटी और ऋण बाजार की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने कॉरपोरेट से आगे आकर क्षमता वृद्धि की दिशा में निवेश करने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस दिशा में कदम उठाए जाने से खपत बढ़ने की उम्मीद है।
एसबीआई चेयरमैन ने कहा, “बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि पूंजीगत व्यय तभी बड़े पैमाने पर आएगा जब मांग निरंतर बनी रहेगी…जीएसटी दरों और 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट से संबंधित संरचनात्मक सुधारों के लिए बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। जब मांग वास्तव में बड़े पैमाने पर वापस आएगी, तो कॉर्पोरेट को पूंजीगत व्यय या क्षमता उपलब्धता की कमी नहीं होनी चाहिए।”
शेट्टी ने कहा, “विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) के वित्तपोषण के लिए भारतीय बैंकों तक पहुँच… मुझे लगता है कि हम पहले भी इस पर बात कर चुके हैं। अगर आप इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को देखें, तो अधिग्रहणों का वित्तपोषण न करना शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण पर आधारित है।”
शेट्टी, जो आईबीए के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, “शुरुआत में, हम आईबीए की ओर से आरबीआई से एक औपचारिक अनुरोध करेंगे… ताकि वे कम से कम कुछ सूचीबद्ध कंपनियों से शुरुआत करें, वैसे मामलों में जहां अधिग्रहण अधिक पारदर्शी हैं और शेयरधारकों कहीं अधिग्रहण को मंजूरी दी गई है। (इस प्रकार) फंडिंग के किसी भी शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण के मुद्दे को कम किया जा सकता है।”
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और आईबीए की ओर से आयोजित एफआईबीएसी 2025 में बोलते हुए एसबीआई चेयरमनै ने कहा कि कॉर्पोरेट क्षेत्र के वर्तमान पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण उनके आंतरिक स्रोतों, इक्विटी और ऋण बाजार की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने कॉरपोरेट से आगे आकर क्षमता वृद्धि की दिशा में निवेश करने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस दिशा में कदम उठाए जाने से खपत बढ़ने की उम्मीद है।
एसबीआई चेयरमैन ने कहा, “बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि पूंजीगत व्यय तभी बड़े पैमाने पर आएगा जब मांग निरंतर बनी रहेगी…जीएसटी दरों और 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट से संबंधित संरचनात्मक सुधारों के लिए बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। जब मांग वास्तव में बड़े पैमाने पर वापस आएगी, तो कॉर्पोरेट को पूंजीगत व्यय या क्षमता उपलब्धता की कमी नहीं होनी चाहिए।”