चुनाव आयोग की दो टूक, राहुल गांधी हलफनामा दें या देश से माफी मांगे? तीसरा कोई रास्ता नहीं

 चुनाव आयोग की दो टूक, राहुल गांधी हलफनामा दें या देश से माफी मांगे? तीसरा कोई रास्ता नहीं
नई दिल्ली। आज रविवार को चुनाव आयोग ने विपक्ष दल कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के सभी आरोपों का तथ्यों और तर्कों के साथ जवाब दिया। चुनाव आयोग को लगातार निशाना बनाए जाने के बाद रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ने मोर्चा संभालते हुए राहुल गांधी को चेतावनी दी कि हलफनामा दें या देश से माफी मांगें? तीसरा कोई रास्ता नहीं है।
कांग्रेस पार्टी और उनके वरिष्ठ सांसद व लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से कई महीनों से लगाए जा रहे सभी आरोपों का चुनाव आयोग ने जवाब दिया है। करीब एक घंटे 25 मिनट लंबे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने चुनाव में धांधली, भाजपा से मिलीभगत से लेकर फर्जी मतदाता और वोट चोरी तक के सभी आरोपों का तथ्यों और तर्कों के साथ जवाब दिया। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की तरफ से चुनाव आयोग पर तब से निशाना बनाया जा रहा है, जब से आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा की। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लेकर लगाए जा रहे तमाम आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा – पिछले 20 वर्षों में एसआईआर प्रक्रिया नहीं की गई थी। देश में 10 से ज्यादा बार एसआईआर प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है। एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची का शुद्धिकरण करना है। इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है।
‘ईसी चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस दौरान कहा जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के मतदाताओं को निशाना बना कर राजनीति की जा रही हो, तो आज चुनाव आयोग सबको स्पष्ट करना चाहता है कि चुनाव आयोग निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा सहित सभी वर्गों और धर्मों के मतदाताओं के साथ बिना किसी भेदभाव के चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।
चुनाव आयोग से सवाल पूछने के मामले पर सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा- यदि शिकायतकर्ता उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, तो आपके पास कानून में केवल एक ही विकल्प है। वह है निर्वाचक पंजीकरण नियम, नियम संख्या 20, उप-खंड (3), उप-खंड (B)। यह कहता है कि यदि आप उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, तो आप गवाह के रूप में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और आपको निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को शपथ देनी होगी। वह शपथ उस व्यक्ति के सामने दिलानी होगी जिसके खिलाफ आपने शिकायत की है।
राहुल गांधी का आरोप– चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा क्यों नहीं देता। जानबूझकर ऐसी मतदाता सूची देता है, जिसे मशीन से नहीं पढ़ा जा सकता?
मतदाता की निजता का उल्लंघन
चुनाव आयोग का जवाब- कांग्रेस नेता के इस आरोप पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि जहां तक मशीन-पठनीय मतदाता सूची का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट 2019 में ही कह चुका है कि यह मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है। हमें मशीन-पठनीय मतदाता सूची और खोज योग्य मतदाता सूची के बीच के अंतर को समझना होगा। आप चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध मतदाता सूची को EPIC नंबर डालकर खोज सकते हैं। इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं। इसे मशीन-पठनीय नहीं कहा जाता। मशीन-पठनीय के संबंध में 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस विषय का गहन अध्ययन किया और पाया कि मशीन-पठनीय मतदाता सूची देने से मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है। मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रतिबंधित है। चुनाव आयोग का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद और 2019 का है।