रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी की याचिका खारिज, यस बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में ईडी की जांच रहेगी जारी
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 13, 2025
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नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी की याचिका खारिज कर दी है। सेबी ने अपनी जांच में कहा कि यह निवेश अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों को यस बैंक से लिए कर्जों के बदले में किया गया था। मामले को बिना दोष स्वीकार किए निपटाने की अंबानी की दलीलों को खारिज करते हुए नियामक ने 7 जुलाई को अपने आदेश में कहा, यस बैंक में कर्ज धोखाधड़ी से निवेशकों को 18.28 अरब रुपये का नुकसान हुआ और इसका बाजार पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
बाजार नियामक सेबी ने यस बैंक में कर्ज धोखाधड़ी से जुड़े मामले को निपटान करने की अनिल अंबानी की याचिका खारिज की दी। इसके साथ ही, अंबानी पर कम-से-कम 18.28 अरब रुपये (20.84 करोड़ डॉलर) का जुर्माना लग सकता है। कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच भी जारी रहेगी।
दरअसल, अंबानी की कंपनी रिलायंस म्यूचुअल फंड ने 2016-19 के बीच यस बैंक के अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड में 21.5 अरब रुपये (24.53 करोड़ डॉलर) का निवेश किया था। इस रकम को 2020 में यह बैंक के दिवालिया घोषित होने पर बट्टे खाते में डाल दिया गया था। वहीं, रिलायंस म्यूचुअल फंड को 2019 में निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस को बेच दिया गया था और यह मामले इस बिक्री से पहले का है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी जांच में कहा, यह निवेश अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों को यस बैंक से लिए कर्जों के बदले में किया गया था। मामले को बिना दोष स्वीकार किए निपटाने की अंबानी की दलीलों को खारिज करते हुए नियामक ने सात जुलाई को अपने आदेश में कहा, यस बैंक में कर्ज धोखाधड़ी से निवेशकों को 18.28 अरब रुपये का नुकसान हुआ और इसका बाजार पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
दरअसल, अंबानी की कंपनी रिलायंस म्यूचुअल फंड ने 2016-19 के बीच यस बैंक के अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड में 21.5 अरब रुपये (24.53 करोड़ डॉलर) का निवेश किया था। इस रकम को 2020 में यह बैंक के दिवालिया घोषित होने पर बट्टे खाते में डाल दिया गया था। वहीं, रिलायंस म्यूचुअल फंड को 2019 में निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस को बेच दिया गया था और यह मामले इस बिक्री से पहले का है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी जांच में कहा, यह निवेश अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों को यस बैंक से लिए कर्जों के बदले में किया गया था। मामले को बिना दोष स्वीकार किए निपटाने की अंबानी की दलीलों को खारिज करते हुए नियामक ने सात जुलाई को अपने आदेश में कहा, यस बैंक में कर्ज धोखाधड़ी से निवेशकों को 18.28 अरब रुपये का नुकसान हुआ और इसका बाजार पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
