“स्त्री: एक धरा, एक शक्ति, एक करुणा”

Political Trust Magazine
लेखिका – उषा ठाकुर
तुम स्त्री को परखना चाहते हो
स्त्री खुली किताब है
पर तुम पढ़ नहीं पाओगे सारे पन्नों को
स्त्री प्रेम,ममता,करुणा,दया स्नेह का प्याली है ,
पर तुम पी नहीं पाओगे
जैसे धरती में अनंत सुख सुविधाएं हैं
पर तुम नहीं ले पाते हो
कुछ ही लोग है जिन्हें समझ आता है,
जिसने धरती की रक्षा की है , संवारा है उसी को मिला है धरती से सुख,
वैसे ही स्त्री है उसके पास अथाह चीजें हैं तुम्हे देने को संवारने को पर तुम वो सुख लेना नहीं जानते हो,
इस दुनिया में हर चीज का हिसाब है
वहीं खाता चलता है,
स्त्री धारण करती है
आप जो भी उसे दोगे
स्त्री जनन करती है वह जननी भी है,
जैसे धरती में बीज डालते हो तो
उसका धारण करती है फिर पालन करती है और कई गुना लौटा कर देती है,
वैसे ही स्त्रियां है जाने अनजाने में उसे जो कुछ भी दोगे वो कई गुना लौटेगा
ध्यान रखना,
एक स्त्री के गोद में सर रख कर देखो
तुम्हे मां के आंचल का एहसास होगा,
तुम एक स्त्री से हाथ मिलकर देखो
तेरे हर कदम पर साथ चलती मिलेगी,
तुम एक स्त्री को बच्चों। के तरह स्नेह
देकर देखो तुम्हे शक्तिशाली पुरुष का एहसास होगा,
स्त्री एक जादुई छड़ी है, जिसपर तुम निश्चल होकर विश्वास करोगे तो हर मुश्किल का हल मिलेगा,