डाक-टिकट से आकाशीय ऊंचाइयों तक: एनबीसीसी और भारतीय डाक मिलकर गढ़ेंगे नई शहरी पहचान

 डाक-टिकट से आकाशीय ऊंचाइयों तक: एनबीसीसी और भारतीय डाक मिलकर गढ़ेंगे नई शहरी पहचान

Political Trust

शहरी रूपांतरण की दिशा में ऐतिहासिक समझौता

शहरी भारत के कायाकल्प की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल करते हुए, एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड और भारतीय डाक विभाग (डीओपी) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के अंतर्गत देशभर में फैली डाक विभाग की अप्रयुक्त भूमि को आधुनिक, स्व-संधारणीय वाणिज्यिक और आवासीय केंद्रों में बदला जाएगा, जो न केवल शहरी विकास को गति देंगे बल्कि सरकार के लिए राजस्व के नए स्रोत भी सृजित करेंगे।

इस अवसर पर डाक विभाग के महानिदेशक  जितेंद्र गुप्ता, एनबीसीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  के.पी. महादेवास्वामी, निदेशक (वाणिज्य) डॉ. सुमन कुमार की गरिमामयी उपस्थिति में, डाक विभाग के उप महानिदेशक  परिमल सिन्हा और एनबीसीसी के कार्यपालक निदेशक  प्रदीप शर्मा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते को शहरी भारत के परिदृश्य में एक युगांतकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

डाक विभाग ने प्रारंभिक चरण में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सरोजिनी नगर डाक कॉलोनी और नेताजी नगर डिपो जैसे प्रमुख स्थलों को चिन्हित किया है, जो जल्द ही विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, वाणिज्यिक गतिशीलता और हरित जीवनशैली से युक्त आधुनिक केंद्रों में तब्दील होंगे। इन परियोजनाओं के निष्पादन का जिम्मा देश की प्रतिष्ठित नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र कंपनी एनबीसीसी को सौंपा गया है, जो मेगा-वैल्यू प्रोजेक्ट्स को समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण रूप से पूरा करने के लिए जानी जाती है।

यह परियोजना दो चरणों में क्रियान्वित की जाएगी — पहले चरण में शीर्ष स्तरीय परामर्शदाताओं द्वारा गहन साध्यता अध्ययन किया जाएगा और फिर उपयुक्त पाए गए भूखंडों को आधुनिक निर्माण में बदला जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एक स्व-संधारणीय वित्तीय मॉडल पर आधारित होगी, जो सरकार के राजकोष पर भार डाले बिना, निर्मित परिसरों की बिक्री और पट्टे से उत्पन्न राजस्व से संचालित होगी।

इस शहरी रूपांतरण में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त एस्क्रो तंत्र निधियों का प्रबंधन करेगा, जबकि एक उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति परियोजना अनुमोदन, मूल्य निर्धारण और प्रगति की निगरानी करेगी। नियोजित विकास में ऊर्जा दक्षता, स्मार्ट अवसंरचना और हरित डिजाइन के तत्व प्रमुख होंगे, जिससे यह पहल भारत के शहरी विकास के लिए एक नया मानक बनकर उभरेगी।

इस समझौते को दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक “रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक” करार दिया है, जो न केवल सरकारी परिसंपत्तियों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि डाक विभाग के स्वामित्व वाले 6,465 भूखंडों में से 1,460 से अधिक अप्रयुक्त भूखंडों की रियल एस्टेट संभावनाओं को भी सक्रिय करेगा। यह साझेदारी देशभर में होटल, मिक्स-यूज़ डेवलपमेंट और कॉमर्शियल स्पेस के लिए भी नए द्वार खोल सकती है, विशेष रूप से मेट्रो शहरों और उभरते टियर-2 हब्स में।

भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प में यह समझौता मील का पत्थर साबित हो सकता है। विरासत से आधुनिकता की ओर यह यात्रा शहरी भारत की पहचान को एक नई दिशा देने जा रही है, जो भविष्य में निवेश, जीवनशैली और बुनियादी ढांचे की परिभाषा को पूरी तरह बदल सकती है।