जाने क्या है केंद्र की प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना,किसानों को होगा कितना लाभ  

 जाने क्या है केंद्र की प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना,किसानों को होगा कितना लाभ  
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी है। 1 फरवरी 2025 को बजट के दौरान वत्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना की घोषणा थी। योजना 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 साल तक चलेगी। इसके तहत देश के 100 कम कृषि उत्पादन वाले जिलों के किसानों को विशेष सुविधाएं दी जाएंगी। इसमें 1.7 करोड़ किसानों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। इसका मकसद इन जिलों में ज्यादा उत्पादन, फसल विविधता, टिकाऊ खेती, आधुनिक भंडारण और हर किसान को किफायती कर्ज देना है।
100 जिलों में लागू होगी योजना
यह योजना नीति आयोग की आस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम से प्रेरित है, लेकिन यह देश में केवल कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर ही फोकस करेगी। इसमें 100 ऐसे जिलों को चुना जाएगा जहां अभी उत्पादकता कम, फसल चक्र सीमित और किसानों को लोन वितरण काफी कम रहता है। योजना में हर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिला कवर होगा।
फसलों का पंचायत स्तर पर भंडारण होगा।
फसल विविधता पर फोकस
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना में ज्यादा पैदावार, फसल विविधता पर फोकस किया जाएगा। इससे खेती की उत्पादकता बढ़ेगी। किसानों को अब गेहूं-धान के बजाय दूसरी फसलों और टिकाऊ कृषि तरीकों को भी अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा ।
पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण
कटाई के बाद उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए पंचायत-स्तर और ब्लॉक-स्तर पर गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और वैल्यू ऐडिशन यूनिट्स बनाई जाएंगी।
बेहतर सिंचाई और ऋण व्यवस्था
हर किसान तक लंबी और छोटी अवधि का सस्ता कर्ज और सिंचाई सुविधाएं पहुंचेंगी। प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती: मिट्टी-पानी संरक्षण, जैविक खेती और जल की बचत पर खास फोकस होगा, जिससे किसान के खर्च घटें और आमदनी बढ़े।
36 केंद्रीय योजनाओं का एकीकरण
इसमें कुल 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को मिलाया जाएगा, साथ में राज्य की योजनाएं और निजी क्षेत्र की भागीदारी भी जोड़ी जाएगी।
हर जिले की अपनी धन-धान्य समिति
प्लानिंग और मॉनिटरिंग के लिए हर जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों को जोड़कर समिति बनाई जाएगी।
डिजिटल डैशबोर्ड
117 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर महीने-दर-महीने हर जिलें के प्रोग्रेस की निगरानी होगी। नीति आयोग और केंद्रीय अधिकारी भी समय-समय पर समीक्षा करेंगे।
जिला कृषि समिति
हर जिले का अपना ‘डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर एंड अलाइड एक्टिविटीज प्लान तैयार होगा, उसमें स्थानीय जरूरत और ताकत के हिसाब से फसल, सिंचाई, भंडारण आदि की रणनीति तय होगी।