थाईलैंड की प्रधानमंत्री को संवैधानिक अदालत ने किया निलंबित, देशविरोधी टिप्पणी का आरोप

नई दिल्ली। थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा को उनके देश के लोगों के खिलाफ कथित गलत टिप्पणी करने के आरोप में संवैधानिक न्यायालय ने पद से निलंबित कर दिया है। इस फैसले के अनुसार, मामले की जांच पूरी होने तक शिनवात्रा प्रधानमंत्री पद पर नहीं रह सकेंगी। कोर्ट ने इस निर्णय को एक याचिका पर सुनाया, जिसमें प्रधानमंत्री के आचरण को गलत और देश के हितों के विरुद्ध बताया गया। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि शिनवात्रा का व्यवहार संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ है।
जांच एजेंसी को आदेश दिया गया है कि वे 15 दिन के भीतर पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपें। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई निर्धारित की जाएगी। वहीं, स्थानीय मीडिया के अनुसार, शिनवात्रा के पिता, जो पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं, के खिलाफ भी मामला दर्ज किए जाने की संभावना है। उन पर राजशाही के प्रभाव का दुरुपयोग कर लोगों को दबाने का आरोप है। यह मामला 2016 का है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, शिनवात्रा ने अपने फोन कॉल में कंबोडिया के सीनेट प्रमुख हुन सेन को “अंकल” कहकर संबोधित किया था। कॉल में उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात थाई जनरल उनके दुश्मन हैं, जिसके कारण कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद बढ़ गया है। इस फोन कॉल के लीक होने से थाईलैंड की राजनीतिक सियासत में भूचाल आ गया। शिनवात्रा ने माफी भी मांगी, लेकिन मामला अदालत तक पहुंच गया और अब संवैधानिक अदालत ने इसे नैतिकता और देशभक्ति के खिलाफ माना है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, शिनवात्रा ने अपने फोन कॉल में कंबोडिया के सीनेट प्रमुख हुन सेन को “अंकल” कहकर संबोधित किया था। कॉल में उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात थाई जनरल उनके दुश्मन हैं, जिसके कारण कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद बढ़ गया है। इस फोन कॉल के लीक होने से थाईलैंड की राजनीतिक सियासत में भूचाल आ गया। शिनवात्रा ने माफी भी मांगी, लेकिन मामला अदालत तक पहुंच गया और अब संवैधानिक अदालत ने इसे नैतिकता और देशभक्ति के खिलाफ माना है।