कामाख्या मंदिर के कपाट तीन दिन के लिए बंद, अंबुवासी मेला शुरू
- असम दिल्ली राष्ट्रीय हमारी संस्कृति
Political Trust
- June 22, 2025
- 0
- 33
- 1 minute read

नई दिल्ली। असम के गुवाहाटी शहर में नीलाचल पर्वत पर कामाख्या धाम में अंबुवासी मेला महायोग-2025 की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस बार भी इस मेला में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे। गुवाहाटी पुलिस आयुक्त पार्थ सारथी महंत के मुताबिक, इस हिसाब से प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।
मंदिर प्रशासन के मुताबिक, 22 से 26 जून तक चलने वाले इस महायोग के दौरान 22 जून को दोपहर 2:56 बजे 27 सेकेंड से कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे। इसके बाद 26 जून सुबह देवी स्नान और दैनिक अनुष्ठानों के बाद तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाएंगे। वहीं, 22 से 27 जून तक वीआईपी दर्शन के लिए कोई पास जारी नहीं किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला यह उत्सव देवी कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म चक्र का प्रतीक है। मान्यता के अनुसार, तंत्र साधना की पूर्णाहुति अंबुवासी योग के दौरान ही होती है। इसलिए नीलांचल पहाड़ी की कई गुफाओं में तंत्र साधक इस दौरान कठिन तपस्या कर तंत्र साधना की अंतिम क्रिया को संपन्न करते हैं।हर वर्ष देश और दुनिया से तंत्र-मंत्र साधक अंबुवासी मेले में आते हैं। मां तीन दिनों के लिए रजस्वला हो जाती हैं, इसलिए इस दौरान मां के दर्शन नहीं होते। मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यह स्त्री की सृजनात्मक शक्ति, स्त्रीत्व, उर्वरता की पवित्रता का उत्सव है। इस दौरान किसान खेतों की जुताई नहीं करते।
स्त्रीत्व, उर्वरता और सृजन का उत्सव
देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है कामख्या देवी शक्तिपीठ। मान्यता है कि जब सुदर्शन चक्र से कटकर देवी सती के अंग भूमि पर गिरे थे, तब योनी भाग यहां गिरा था। यही वजह है कि इसे कामक्षेत्र, कामरूप यानी कामदेव का क्षेत्र भी कहा जाता है। जिस स्थान पर देवी सती का योनी भाग गिरा था उस स्थान (नीलाचल पहाड़, जो गुवाहाटी से करीब 14 किलोमीटर दूर है) पर विश्व प्रसिद्ध कामख्या देवी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को तंत्र साधना का प्रमुख स्थान माना जाता है। हर वर्ष देश और दुनिया से तंत्र-मंत्र साधक अंबुवासी मेले में आते हैं। मां तीन दिनों के लिए रजस्वला हो जाती हैं, इसलिए इस दौरान मां के दर्शन नहीं होते। मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यह स्त्री की सृजनात्मक शक्ति, स्त्रीत्व, उर्वरता की पवित्रता का उत्सव है।
स्त्रीत्व, उर्वरता और सृजन का उत्सव
देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है कामख्या देवी शक्तिपीठ। मान्यता है कि जब सुदर्शन चक्र से कटकर देवी सती के अंग भूमि पर गिरे थे, तब योनी भाग यहां गिरा था। यही वजह है कि इसे कामक्षेत्र, कामरूप यानी कामदेव का क्षेत्र भी कहा जाता है। जिस स्थान पर देवी सती का योनी भाग गिरा था उस स्थान (नीलाचल पहाड़, जो गुवाहाटी से करीब 14 किलोमीटर दूर है) पर विश्व प्रसिद्ध कामख्या देवी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को तंत्र साधना का प्रमुख स्थान माना जाता है। हर वर्ष देश और दुनिया से तंत्र-मंत्र साधक अंबुवासी मेले में आते हैं। मां तीन दिनों के लिए रजस्वला हो जाती हैं, इसलिए इस दौरान मां के दर्शन नहीं होते। मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यह स्त्री की सृजनात्मक शक्ति, स्त्रीत्व, उर्वरता की पवित्रता का उत्सव है।