गिरावट के साथ खुला बाजार संभला, सेंसेक्स में 100 अंकों की तेजी,निफ्टी 24850 के ऊपर
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- June 18, 2025
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नई दिल्ली। आज बुधवार को शेयर बाजार खुलते ही सेंसेक्स में 100 अंकों की तेजी आई है। इसी के साथ एशियाई शेयर बाजार में भी मिला-जुला रुख देखा गया। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।
इसके चलते प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स गिरावट में ओपन हुए। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने और निवेशकों की सेंटीमेंट्स प्रभावित होने से बाजार में गिरावट देखी गई।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स आज 200 से ज्यादा अंक की गिरावट के साथ 81,314.62 पर ओपन हुआ। खुलते ही इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सुबह 9:24 बजे यह 52.68 अंक या 0.06% की मामूली बढ़त लेकर 81,635.98 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 भी गिरावट लेकर 24,788.35 पर ओपन हुआ। शुरुआती कारोबार में इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सुबह 9:27 बजे यह 24.85 अंक या 0.10% की बढ़त लेकर 24,873 पर था।
बाजार आज कई अहम कारकों से प्रभावित हो सकता है, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दर फैसला, निफ्टी और सेंसेक्स डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी में बदलाव, इज़रायल-ईरान तनाव, ग्लोबल संकेत और संस्थागत निवेश शामिल हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एनएसई और बीएसई पर इक्विटी डेरिवेटिव्स अनुबंधों की एक्सपायरी की तारीखों में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत एनएसई अब डेरिवेटिव्स अनुबंधों की एक्सपायरी गुरुवार की बजाय मंगलवार को करेगा। जबकि बीएसई की एक्सपायरी अब मंगलवार के बजाय गुरुवार को होगी। इससे दोनों एक्सचेंजों के बाजार हिस्सेदारी में बदलाव आ सकता है।
बाजारों में मिलाजुला रूख देखने को मिला
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों में बुधवार को मिला-जुला रुख देखा गया। इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा ईरान पर सैन्य हमले की संभावना जताने और “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग करने से हालात और गंभीर हो गए हैं। उनके इस बयान ने यह संकेत दिया है कि अमेरिका इस संघर्ष में और गहराई से शामिल हो सकता है।
इस बीच, जापान का निक्केई इंडेक्स शुरूआती गिरावट के बाद 0.14% चढ़ा, जबकि टोपिक्स 0.15% ऊपर रहा। कोस्पी में 0.46% की बढ़त दर्ज की गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया का ASX200 इंडेक्स 0.2% गिर गया।
जापान का निर्यात मई में साल-दर-साल आधार पर 1.7% गिरा, जो अनुमानित 3.8% गिरावट से कम है। हालांकि, वैश्विक व्यापार में मंदी की आशंका बढ़ी है। बैंक ऑफ जापान ने आगाह किया है कि अंतरराष्ट्रीय मांग में कमजोरी और कंपनियों के मुनाफे घटने से आर्थिक वृद्धि सुस्त हो सकती है।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स आज 200 से ज्यादा अंक की गिरावट के साथ 81,314.62 पर ओपन हुआ। खुलते ही इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सुबह 9:24 बजे यह 52.68 अंक या 0.06% की मामूली बढ़त लेकर 81,635.98 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 भी गिरावट लेकर 24,788.35 पर ओपन हुआ। शुरुआती कारोबार में इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सुबह 9:27 बजे यह 24.85 अंक या 0.10% की बढ़त लेकर 24,873 पर था।
बाजार आज कई अहम कारकों से प्रभावित हो सकता है, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दर फैसला, निफ्टी और सेंसेक्स डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी में बदलाव, इज़रायल-ईरान तनाव, ग्लोबल संकेत और संस्थागत निवेश शामिल हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एनएसई और बीएसई पर इक्विटी डेरिवेटिव्स अनुबंधों की एक्सपायरी की तारीखों में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत एनएसई अब डेरिवेटिव्स अनुबंधों की एक्सपायरी गुरुवार की बजाय मंगलवार को करेगा। जबकि बीएसई की एक्सपायरी अब मंगलवार के बजाय गुरुवार को होगी। इससे दोनों एक्सचेंजों के बाजार हिस्सेदारी में बदलाव आ सकता है।
बाजारों में मिलाजुला रूख देखने को मिला
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों में बुधवार को मिला-जुला रुख देखा गया। इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा ईरान पर सैन्य हमले की संभावना जताने और “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग करने से हालात और गंभीर हो गए हैं। उनके इस बयान ने यह संकेत दिया है कि अमेरिका इस संघर्ष में और गहराई से शामिल हो सकता है।
इस बीच, जापान का निक्केई इंडेक्स शुरूआती गिरावट के बाद 0.14% चढ़ा, जबकि टोपिक्स 0.15% ऊपर रहा। कोस्पी में 0.46% की बढ़त दर्ज की गई, जबकि ऑस्ट्रेलिया का ASX200 इंडेक्स 0.2% गिर गया।
जापान का निर्यात मई में साल-दर-साल आधार पर 1.7% गिरा, जो अनुमानित 3.8% गिरावट से कम है। हालांकि, वैश्विक व्यापार में मंदी की आशंका बढ़ी है। बैंक ऑफ जापान ने आगाह किया है कि अंतरराष्ट्रीय मांग में कमजोरी और कंपनियों के मुनाफे घटने से आर्थिक वृद्धि सुस्त हो सकती है।
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