भयावह हालात: 2050 तक ‘सुपरबग्स’ हर साल एक करोड़ लोगों की लेगा जान! मामला जान हो जाएंगे हैरान
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 26, 2025
- 0
- 34
- 1 minute read

नई दिल्ली। पशुपालन व खेती बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जा रही एंटीबायोटिक दवाएं मनुष्य की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन रही हैं। ये दवाएं प्रतिरोधी बैक्टीरिया को जन्म दे रही हैं। जो इंसानी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चुनौती बन रहे हैं। ऑक्सफोर्ड विवि के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं, विशेषकर कोलिस्टिन जैसे एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स का अत्यधिक उपयोग, प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विकास में सहायक बन रहा है।
ये बैक्टीरिया इतने ताकतवर हो चुके हैं कि अब मानव शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली भी इन्हें रोकने में विफल साबित हो रही है। चीन में कोलिस्टिन का लंबे समय तक इस्तेमाल पालतू सूअरों और मुर्गियों को जल्दी मोटा तगड़ा करने के लिए किया गया। इससे ई. कोलाई जैसे खतरनाक बैक्टीरिया के ऐसे स्ट्रेन विकसित हुए जो इंसानी इम्यून सिस्टम को चकमा देने में सक्षम हैं। भले ही चीन ने इस एंटीबायोटिक पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन इसके प्रभाव अब भी महसूस किए जा रहे हैं।
इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में बेची जाने वाले 73 फीसदी एंटीबायोटिक्स का उपयोग उन जानवरों पर किया जाता है, जिन्हें भोजन के लिए पाला गया है। एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स (एएमआर) अब वैश्विक जनस्वास्थ्य संकट बन चुका है। जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में एएमआर के चलते 12.7 लाख लोगों की जान गई, जो मलेरिया और एचआईवी (एड्स) से भी अधिक थी। यदि यही रफ्तार बनी रही तो 2050 तक ‘सुपरबग्स’ हर साल एक करोड़ लोगों की जान ले सकते हैं।
इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में बेची जाने वाले 73 फीसदी एंटीबायोटिक्स का उपयोग उन जानवरों पर किया जाता है, जिन्हें भोजन के लिए पाला गया है। एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स (एएमआर) अब वैश्विक जनस्वास्थ्य संकट बन चुका है। जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में एएमआर के चलते 12.7 लाख लोगों की जान गई, जो मलेरिया और एचआईवी (एड्स) से भी अधिक थी। यदि यही रफ्तार बनी रही तो 2050 तक ‘सुपरबग्स’ हर साल एक करोड़ लोगों की जान ले सकते हैं।