फेमा केस में ईडी के सामने पेश नहीं हुए अनिल अंबानी, जानें पूरा मामला

 फेमा केस में ईडी के सामने पेश नहीं हुए अनिल अंबानी, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली। रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने दूसरी बार फेमा मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है। आइए विस्तार से जानते हैं।
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने विदेशी प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में ईडी के सामने पेश होने से दूसरी बार इनकार कर दिया। उन्होंने पहली बार 14 नवंबर को समन पर पेश न होकर ईडी को बताया था कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या रिकॉर्डेड बयान के जरिए पूछताछ में शामिल होने को तैयार हैं। हालांकि, ईडी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और सोमवार के लिए नया समन जारी किया। अब यह स्पष्ट नहीं है कि एजेंसी तीसरा समन भेजेगी या नहीं।
बता दें कि फेमा के तहत होने वाली कार्रवाई सिविल प्रकृति की होती है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत की जाने वाली जांच और कार्रवाई आपराधिक प्रकृति की मानी जाती है।
अंबानी ने रखा वर्चुअल उपस्थिति का प्रस्ताव
66 वर्षीय व्यवसायी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अनिल अंबानी ने ईडी के लिए उपयुक्त किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद को उपलब्ध कराने की पेशकश की है।
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अंबानी को शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और फेमा के तहत अपना बयान दर्ज कराने को कहा था। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है।
ईडी ने अपनी जांच में क्या पाया?
इससे पहले जारी एक बयान में ईडी ने कहा था कि हाल ही में धन शोधन निरोधक कानून के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ की गई तलाशी में पाया गया कि राजमार्ग परियोजना से कथित तौर पर 40 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। एजेंसी ने कहा कि सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन दुबई पहुंचाया गया। इससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापक अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला है।