हरदीप सिंह पुरी की हाई-लेवल मीटिंग्स से भारत की समुद्री क्षमता को नई गति

 हरदीप सिंह पुरी की हाई-लेवल मीटिंग्स से भारत की समुद्री क्षमता को नई गति

नई दिल्ली/दक्षिण कोरिया। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 13–14 नवंबर 2025 को दक्षिण कोरिया में आयोजित अपनी उच्च-स्तरीय बैठकों के दौरान भारत–कोरिया समुद्री एवं शिपबिल्डिंग सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। यह बैठकें भारत की मैरिटाइम अमृत काल विज़न 2047 के अनुरूप आयोजित की गईं, जिसका उद्देश्य भारत के वाणिज्यिक बेड़े का विस्तार, घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ाना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।

शुक्रवार को मंत्री ने उल्सान स्थित विश्व के सबसे बड़े HD Hyundai Heavy Industries शिपयार्ड का दौरा किया, जो 1,680 एकड़ में फैला है। उन्होंने इसे अत्यंत उपयोगी अनुभव बताते हुए कहा कि भारत में ऊर्जा और शिपिंग सेक्टर की तेज़ वृद्धि, मेक इन इंडिया पहल और युवा आबादी के चलते कोरियाई शिपयार्डों के लिए “मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड” का बड़ा अवसर है। आने वाले 15 वर्षों में विश्व के लगभग 20 प्रतिशत जहाज भारत से जुड़े मार्गों पर होंगे। भारत प्रतिवर्ष 5–8 अरब डॉलर फ्रेट पर खर्च करता है और उसके सार्वजनिक उपक्रम अकेले 59 क्रूड, LNG और एथेन वाहक जहाज खरीद सकते हैं। उन्होंने कोचीन शिपयार्ड के साथ मौजूदा MoU की प्रगति की भी समीक्षा की और बताया कि ब्लॉक फैब्रिकेशन सुविधा के प्रस्ताव को जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।

शिपयार्ड दौरे से पहले गुरुवार को उन्होंने सिओंगनाम स्थित HD Hyundai के ग्लोबल R&D सेंटर में कंपनी के चेयरमैन चुंग की-सुन से मुलाकात की। बैठक में भारत के वाणिज्यिक जहाज बेड़े को 1,500 से बढ़ाकर 2,500 जहाज तक करने की योजना और मैरिटाइम अमृत काल विज़न के तहत 24 अरब डॉलर के निवेश पर विस्तृत चर्चा हुई। कंपनी ने अपने उन्नत जहाज डिजाइन और स्मार्ट शिपयार्ड तकनीकों के माध्यम से भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

मंत्री ने आज कोरिया की प्रमुख शिपिंग कंपनियों—KOBC के CEO अन ब्यंग गिल, SK Shipping के CEO किम सुंग इक, H-Line Shipping के CEO सियो म्युंग डयुक और पैन ओशन के वाइस प्रेसिडेंट संग जे योंग से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि ऊर्जा और शिपिंग भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दो मजबूत स्तंभ हैं। भारत के 150 अरब डॉलर से अधिक के क्रूड और गैस आयात पूरी तरह समुद्री मार्ग से होते हैं, जबकि केवल 20 प्रतिशत माल भारतीय ध्वज वाले जहाजों पर जाता है। LNG, LPG, क्रूड और एथेन की बढ़ती मांग के साथ-साथ ONGC को 2034 तक लगभग 100 ऑफशोर और प्लेटफॉर्म सप्लाई वेसल की आवश्यकता होगी। ऐसे में कोरिया की उन्नत तकनीक और भारत की विनिर्माण क्षमता व लागत लाभ मिलकर दीर्घकालिक साझेदारी बना सकते हैं।

बाद में सियोल में मंत्री ने Hanwa Ocean के प्रेसिडेंट और CEO किम ही-चुल से भी चर्चा की और उन्हें भारत के उभरते शिपबिल्डिंग सेक्टर में निवेश के अवसरों का लाभ उठाने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि भारत की तेज़ रफ्तार अर्थव्यवस्था और ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार ने शिपिंग उद्योग के लिए नए द्वार खोले हैं। वर्तमान में तेल और गैस भारतीय बंदरगाहों पर सबसे बड़ा कार्गो समूह है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा गैर-भारतीय जहाजों से ढोया जाता है। भारत इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय PSU कोरियाई कंपनियों के साथ मिलकर LNG और क्रूड कैरियर का निर्माण करने के लिए तैयार हैं, जिससे रणनीतिक परिसंपत्तियों का विकास होगा।